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Tittle : MAHATMA HANSRAJ

दूरदर्शी महात्मा हंसराज

महात्मा हंसराज पंजाब ही नहीं अपितु देश के प्रसिद्ध आर्य समाज के एक अग्रणी नेता, समाज सुधारक तथा शिक्षा शास्त्री

के रूप में प्रतिष्ठित हुए। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से महात्मा हंसराज काफी

प्रभावित हुए थे।1883  में आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के निधन के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों

के साथ चर्चा कर श्रद्धाञ्जलि रूप में 1985 में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी की

शिला स्थापित की। डीएवी सोसाइटी ने 1886 में लाहौर में डीएवी महाविद्यालय की स्थापना कर शिक्षा जगत् और

समाज को अमूल्य उपहार प्रदान किया।

22 वर्षीय युवा लाला हंसराज ने प्रप्रथम प्राचार्य के रूप में कार्य आरम्भ किया। लगभग 25 वर्ष तक

अवैतनिक सेवा देते रहे। कुछ ही दिनों बाद डीएवी कॉलेज कमेटी के प्रधान पद को सुशोभित किया। उनके इन्हीं समर्पण

के लिए लाला हंसराज को महात्मा हंसराज के नाम से जाना गया। उन्हीं के दूरदर्शी चिंतन एवं प्रयास से आज देशभर

एवं विदेशों में लगभग 1000 के करीब  डीएवी विद्यालय तथा महाविद्यालयों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की

जा रही है।

शिक्षा और समाज के लिए किया गया महात्मा जी का कार्य आने वाले पीढियों के लिए एक वरदान स्वरूप है। वैदिक

परिवार एवं यह समाज महात्मा जी का सदैव ऋणी रहेगा। आज पुनः एकबार श्रद्धा सुमन अर्पित कर वंदन करते हैं।